
0 Bookmarks 57 Reads0 Likes
तिरा लब देख हैवाँ याद आवे
तिरा मुख देख कनआँ याद आवे
तिरे दो नैन जब देखूँ नज़र भर
मुझे तब नर्गिसिस्ताँ याद आवे
तिरी ज़ुल्फ़ाँ की तूलानी कूँ देखे
मुझे लैल-ए-ज़मिस्ताँ याद आवे
तिरे ख़त का ज़मुर्रद-रंग देखे
बहार-ए-सुंबुलिस्ताँ याद आवे
तिरे मुख के चमन के देखने सूँ
मुझे फ़िरदौस-ए-रिज़वाँ याद आवे
तिरी ज़ुल्फ़ाँ में यू मुख जो कि देखे
उसे शम-ए-शबिस्ताँ याद आवे
जो कुइ देखे मिरी अँखियाँ को रोते
उसे अब्र-ए-बहाराँ याद आवे
जो मेरे हाल की गर्दिश कूँ देखे
उसे गिर्दाब-ए-गर्दां याद आवे
'वली' मेरा जुनूँ जो कुइ कि देखे
उसे कोह ओ बयाबाँ याद आवे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments