
0 Bookmarks 125 Reads0 Likes
चंचलाहट में तू ममोला है
झिलझिलाहट में दर अमोला है
देख तुझ मुख कूँ यूँ छुपे यूसुफ़
जूँ कबूतर कुएँ में कोला है
सैर करता हूँ बैठ कर उस बीच
दिल हमारा उड़न-खटोला है
सर्व सीं क़द है यार का मौज़ूँ
मैं ने मीज़ान लीं के तोला है
सर्द-मेहरी सीं बे-वफ़ा का हाल
है ख़ुनुक इस क़दर कि ओला है
जान कर के अजान होता है
तुम न जानो कि जान भोला है
हम सूँ सब मिल कहो मुबारकबाद
कि टुक इक हँस के आ के बोला है
'आबरू' हाए क्यूँ गले न लगा
मेरे दिल में यही मलोला है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments