दर्दों का घेरा's image
1 min read

दर्दों का घेरा

Ramesh PokhriyalRamesh Pokhriyal
0 Bookmarks 264 Reads0 Likes

दर्दों का घेरा

 


हर दुख लगा जग में मेरा है,
इस तरह दर्दों का घेरा है।

कभी अपना भी दूर जाता रहा
मैं अकेला स्वयं को भुलाता रहा
यहाँ सुख के संग संग ही दुख का बसेरा है
इस तरह दर्दों का घेरा है।

मैं तो तिल-तिल ही निज को जलाता रहा,
ठोकरें हर कदम पर भी खाता रहा।
मेरे दर्दों का लगा आज मेला है,
इस तरह दर्दों का घेरा है।

जिंदगी-मौत दोनों ही संग संग रहे,
जाने जीवन में कितने थपेड़े सहे।
हर थपेड़ा हुआ आज मेरा है,
इस तरह दर्दों का घेरा है।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts