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क़िस्सा-ए-हुस्न नहीं इश्क़ की रूदाद नहीं
हैफ़ ये बज़्म तिरे ज़िक्र से आबाद नहीं
मोरिद-ए-रंज-ओ-अलम कुश्ता-ए-बेदाद नहीं
वाए बर-ऐश जहाँ मुझ को ख़ुदा याद नहीं
हम-सफ़ीरान-ए-चमन वाह ये पुर्सिश ये करम
अब मुझे शिकवा-ए-बे-मेहरी-ए-सय्याद नहीं
मैं हूँ नाशाद-ए-अज़ल ख़ैर मगर हैरत है
इशरत-आबाद-ए-जहाँ में भी कोई शाद नहीं
क़िस्सा-ए-जौर-ए-फ़लक शिकवा-ए-अय्याम-ए-ज़ुबूँ
एक अफ़्साना है जिस की कोई बुनियाद नहीं
सरफ़रोशान-ए-मोहब्बत पे ख़ुदा की रहमत
मुद्दई सब हैं मगर एक भी फ़रियाद नहीं
वाह ऐ मंज़र-ए-ख़ुश-वक़्ती-ए-मंज़िल क़ुर्बां
दश्त-ए-ग़ुर्बत की मसाइब भी मुझे याद नहीं
मैं ख़तावार मगर तेरे करम के क़ुर्बां
एक मजबूर तो यूँ मुस्तहिक़-ए-दाद नहीं
'राज़' ये नामा-ए-अहसन ये पयाम-ए-इज़्ज़त
वाए तक़दीर कि मैं आज भी आज़ाद नहीं
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