
0 Bookmarks 53 Reads0 Likes
राखी बांधत जसोदा मैया ।
बहु सिंगार सजे आभूषण गिरिधर भैया॥१॥
रतन खचित राखी बांधि कर, पुन पुन लेत बलैया।
सकल भोग आगे धर राखे, जनक जु लेहु कन्हैया ॥२॥
यह छबि देख मग्न नंद रानी, निरख निरख सचु पैया।
जियो जसोदा पूत तिहारो परमानंद बल जैया ॥३॥
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments