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क्या अदा किया नाज़ है क्या आन है

Nazeer AkbarabadiNazeer Akbarabadi
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क्या अदा किया नाज़ है क्या आन है

याँ परी का हुस्न भी हैरान है

हूर भी देखे तो हो जावे फ़िदा

आज इस आलम का वो इंसान है

उस के रंग-ए-सब्ज़ की है चीं में धूम

क्यूँ न हो आख़िर को हिन्दोस्तान है

जान-ओ-दिल हम नज़्र को लाए हैं आज

लीजिए ये दिल है और ये जान है

दिल भी है दिल से तसद्दुक़ आप पर

जान भी जी-जान से क़ुर्बान है

दिल कहाँ पहलू में जो हम दें तुम्हें

ये तो घर इक उम्र से वीरान है

अक़्ल ओ होश ओ सब्र सब जाते रहे

हाँ मगर इक-आध मुइ सी जान है

वो भी गर लेनी हों तो ले जाइए

ख़ैर ये भी आप का एहसान है

आन कर मिल तू 'नज़ीर' अपने से जान

अब वो कोई आन का मेहमान है

 

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