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झूम-झूम चखन को चूम-चूम चंचरीक,
लटकी लटन में लिपट लटकत हैं।
आज इन बैरिन सों बन में बचावै कौन,
अबला अकेली में अनेक अटकत हैं॥
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झूम-झूम चखन को चूम-चूम चंचरीक,
लटकी लटन में लिपट लटकत हैं।
आज इन बैरिन सों बन में बचावै कौन,
अबला अकेली में अनेक अटकत हैं॥
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