
0 Bookmarks 78 Reads0 Likes
हौसला इम्तिहान से निकला
जान का काम जान से निकला
दर्द-ए-दिल उन के कान तक पहुँचा
बात बन कर ज़बान से निकला
बेवफ़ाई में वो ज़मीं वाला
हाथ भर आसमान से निकला
हर्फ़-ए-मतलब फ़क़त कहा न गया
वर्ना सब कुछ ज़बान से निकला
कुछ की कुछ कौन सुनने वाला था
कुछ का कुछ क्यूँ ज़बान से निकला
इक सितम मिट गया तो और हुआ
आसमाँ आसमान से निकला
जिस से बचता था मैं दम-ए-इज़हार
वही पहलू बयान से निकला
वो भी अरमान क्या जो ऐ 'मुज़्तर'
दिल में रह कर ज़बान से निकला
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments