0 Bookmarks 102 Reads0 Likes
ये महर है बे-मेहरी-ए-सय्याद का पर्दा
आई न मिरे काम मिरी ताज़ा-सफ़ीरी
रखने लगा मुरझाए हुए फूल क़फ़स में
शायद कि असीरों को गवारा हो असीरी
No posts
No posts
No posts
No posts
ये महर है बे-मेहरी-ए-सय्याद का पर्दा
आई न मिरे काम मिरी ताज़ा-सफ़ीरी
रखने लगा मुरझाए हुए फूल क़फ़स में
शायद कि असीरों को गवारा हो असीरी
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments