0 Bookmarks 336 Reads0 Likes
अपने दिल को दोनों आलम से उठा सकता हूँ मैं
क्या समझती हो कि तुमको भी भुला सकता हूँ मैं
कौन तुमसे छीन सकता है मुझे क्या वहम है
खुद जुलेखा से भी तो दामन बचा सकता हूँ मैं
दिल मैं तुम पैदा करो पहले मेरी सी जुर्रतें
और फिर देखो कि तुमको क्या बना सकता हूँ मैं
दफ़न कर सकता हूँ सीने मैं तुम्हारे राज़ को
और तुम चाहो तो अफसाना बना सकता हूँ मैं
तुम समझती हो कि हैं परदे बोहत से दरमियाँ
मैं यह कहता हूँ कि हर पर्दा उठा सकता हूँ मैं
तुम कि बन सकती हो हर महफ़िल मैं फिरदौस-ए-नज़र
मुझ को यह दावा कि हर महफ़िल पे छा सकता हूँ मैं
आओ मिल कर इन्किलाब ताज़ा पैदा करें
दहर पर इस तरह छा जाएं कि सब देखा करें
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments