भाषा की ध्वस्त पारिस्थितिकी में's image
1 min read

भाषा की ध्वस्त पारिस्थितिकी में

Kunwar NarayanKunwar Narayan
0 Bookmarks 86 Reads0 Likes


प्लास्टिक के पेड़

नाइलॉन के फूल

रबर की चिड़ियाँ


टेप पर भूले बिसरे

लोकगीतों की

उदास लड़ियाँ.....


एक पेड़ जब सूखता

सब से पहले सूखते

उसके सब से कोमल हिस्से-

उसके फूल

उसकी पत्तियाँ ।


एक भाषा जब सूखती

शब्द खोने लगते अपना कवित्व

भावों की ताज़गी

विचारों की सत्यता –

बढ़ने लगते लोगों के बीच

अपरिचय के उजाड़ और खाइयाँ ......


सोच में हूँ कि सोच के प्रकरण में

किस तरह कुछ कहा जाय

कि सब का ध्यान उनकी ओर हो

जिनका ध्यान सब की ओर है –


कि भाषा की ध्वस्त पारिस्थितिकी में

आग यदि लगी तो पहले वहाँ लगेगी

जहाँ ठूँठ हो चुकी होंगी

अपनी ज़मीन से रस खींच सकनेवाली शक्तियाँ ।

 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts