0 Bookmarks 119 Reads0 Likes
शबनम में चाँदनी में गुलाबों में आएगा
अब तेरा ज़िक्र सारी किताबों में आएगा
जो लम्हा खो गया है उसे फिर न ढूँढना
जो चाँद ढल चुका है वो ख़्वाबों में आएगा
दुख दे रही हैं उस की ये बर्फ़ीली आदतें
पिघलेगा एक दिन तो शराबों में आएगा
पहचान भी सकोगे नहीं अपने नाम को
आएगा भी तो इतने हिजाबों में आएगा
जब तेरा नाम हुस्न की तारीख़ बन गया
फिर मेरा ज़िक्र दिल की किताबों में आएगा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments