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सन्नाटा वसुधा पर छाया,
नभ में हमनें कान लगाया,
फ़िर भी अगणित कंठो का यह राग नहीं हम सुन पाते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं
स्वर्ग सुना करता यह गाना,
पृथ्वी ने तो बस यह जाना,
अगणित ओस-कणों में तारों के नीरव आंसू आते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं
उपर देव तले मानवगण,
नभ में दोनों गायन-रोदन,
राग सदा उपर को उठता, आंसू नीचे झर जाते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं
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