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किस-किसका दूँ धन्यवाद मैं तुझको, मेरे दैव! बता?
साँस-साँस का धन्यवाद दूँ या उर की हर धड़कन का?
बाढ़, तड़ित, भूकंप, रोग से रक्षित क्षण-क्षण जीवन का?
या उन दुर्घटनाओं का जिनका मुझको भी नहीं पता?
जब भी मुड़ा नाश की दिशि मैं, तूने मुझको टोक दिया
ठोकर खा गिरने से पहले, हाथ पकड़ कर रोक लिया
श्रेय समझता था मैं जिसको थी पल भर की भावुकता
बालक के मस्तक पर रहती ज्यों माँ के आँचल की छाँह
मेरे दुर्बल कन्धों पर है सदा दयामय तेरी बाँह
मैं तो कब का टूट चुका था, स्नेह न जो तेरा मिलता
किस-किसका दूँ धन्यवाद मैं तुझको, मेरे दैव! बता?
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