देखते-देखते's image
1 min read

देखते-देखते

Gulab KhandelwalGulab Khandelwal
0 Bookmarks 142 Reads0 Likes

देखते-देखते,
हमारा सारा जीवन एक सपने की तरह कट जाता है,
हम जो कुछ भी करें,
दो-चार शब्दों में अँट जाता है;
शेष तो शून्य है, माना
पर कहाँ जाता है भागफल
जब सब कुछ काल-भाजक द्वारा
पूरा-का-पूरा बँट जाता है?

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts