ये शफ़क़ शाम हो रही है अब's image
1 min read

ये शफ़क़ शाम हो रही है अब

Dushyant KumarDushyant Kumar
0 Bookmarks 223 Reads1 Likes

ये शफ़क़ शाम हो रही है अब

और हर गाम हो रही है अब


जिस तबाही से लोग बचते थे

वो सरे आम हो रही है अब


अज़मते—मुल्क इस सियासत के

हाथ नीलाम हो रही है अब


शब ग़नीमत थी, लोग कहते हैं

सुब्ह बदनाम हो रही है अब


जो किरन थी किसी दरीचे की

मरक़ज़े बाम हो रही है अब


तिश्ना—लब तेरी फुसफुसाहट भी

एक पैग़ाम हो रही है अब

 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts