उपलब्धि's image
1 min read

उपलब्धि

Dharamvir BharatiDharamvir Bharati
0 Bookmarks 496 Reads3 Likes

उपलब्धि
मैं क्या जिया ?

मुझको जीवन ने जिया -
बूँद-बूँद कर पिया, मुझको
पीकर पथ पर ख़ाली प्याले-सा छोड़ दिया

मैं क्या जला?
मुझको अग्नि ने छला -
मैं कब पूरा गला, मुझको
थोड़ी-सी आँच दिखा दुर्बल मोमबत्ती-सा मोड़ दिया

देखो मुझे
हाय मैं हूँ वह सूर्य
जिसे भरी दोपहर में
अँधियारे ने तोड़ दिया !

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts