सखी हम बंसी क्यों न भए's image
1 min read

सखी हम बंसी क्यों न भए

Bhartendu HarishchandraBhartendu Harishchandra
0 Bookmarks 150 Reads0 Likes

सखी हम बंसी क्यों न भए।
अधर सुधा-रस निस-दिन पीवत प्रीतम रंग रए।
कबहुँक कर में, कबहुँक कटि में, कबहूँ अधर धरे।
सब ब्रज-जन-मन हरत रहति नित कुंजन माँझ खरे।
देहि बिधाता यह बर माँगों, कीजै ब्रज की धूर।
’हरीचंद’ नैनन में निबसै मोहन-रस भरपूर॥

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts