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मारग प्रेम को को समझै

Bhartendu HarishchandraBhartendu Harishchandra
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मारग प्रेम को को समझै 'हरिचंद' यथारथ होत यथा है।
लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होने की सारी कथा है।
जानत है जिय मेरो भला बिधि और उपाय सबै बिरथा है।
बावरे हैं ब्रज के सगरे मोहिं नाहक पूछत कौन विधा है।

 

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