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रक़ीबों का मुझ से गिला हो रहा है

Bekhud BadayuniBekhud Badayuni
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रक़ीबों का मुझ से गिला हो रहा है

ये क्या कर रहे हो ये क्या हो रहा है

दुआ को नहीं राह मिलती फ़लक की

कुछ ऐसा हुजूम-ए-बला हो रहा है

वो जो कर रहे हैं बजा कर रहे हैं

ये जो हो रहा है बजा हो रहा है

वो ना-आश्ना बेवफ़ा मेरी ज़िद से

ज़माने का अब आश्ना हो रहा है

छुपाए हुए दिल को फिरते हैं 'बेख़ुद'

कि ख़्वाहाँ कोई दिल-रुबा हुआ है

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