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हस्ती के शज़र में जो यह चाहो कि चमक जाओ

Akbar AllahabadiAkbar Allahabadi
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हस्ती के शज़र में जो यह चाहो कि चमक जाओ
कच्चे न रहो बल्कि किसी रंग मे पक जाओ

मैंने कहा कायल मै तसव्वुफ का नहीं हूँ
कहने लगे इस बज़्म मे जाओ तो थिरक जाओ

मैंने कहा कुछ खौफ कलेक्टर का नहीं है
कहने लगे आ जाएँ अभी वह तो दुबक जाओ

मैंने कहा वर्जिश कि कोई हद भी है आखिर
कहने लगे बस इसकी यही हद कि थक जाओ

मैंने कहा अफ्कार से पीछा नहीं छूटता
कहने लगे तुम जानिबे मयखाना लपक जाओ

मैंने कहा अकबर मे कोई रंग नहीं है
कहने लगे शेर उसके जो सुन लो तो फडक जाओ

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