कुछ खुदगर्ज के लिए's image
Poetry1 min read

कुछ खुदगर्ज के लिए

YUGANSHU RAVIYUGANSHU RAVI March 31, 2022
Share0 Bookmarks 48386 Reads0 Likes
मैंने दुनिया से अभी तक यही सीखा है ।।
कि जब तक हैं जिंदा  हम!! 
एक तलब  लिए बैठे हैं ,
अपने लिए जिये बैठे हैं !

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts