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बोलियों में मृदुलता की मात्रा,

उत्तर से दक्षिण की अनूठी यात्रा,

उत्तर की भाषाओं में संस्कृत विद्यमान,

द्रविड़ भाषाओं जैसी प्राचीनता समान,

तमिल,तेलुगु,कन्नड़ और मलयालम,

विभिन्नता में समन्वय का सुखद सा आलम!

कश्मीरी,उर्दू,डोगरी व पंजाबी अत्यंत मिलनसार,

आधुनिक आर्य भाषाओं का भी हुआ विस्तार,

जैसे मणिपुरी,बोडो,असमीस और संथाली;

वहीं मैथिली,नेपाली,उड़िया और बंगाली,

भर देंती मिठास से रिक्त स्थान हर खाली!

उत्तरीय भाग से पूर्वोत्तर तक हुआ सफर,

पश्चिम भारतीय भाषाओं का भी अद्भुत असर,

जैसे सिंधी,कोंकणी,मराठी और गुजराती,

अनेकता में भी भाषाएं सर्वदा एकता दर्शाती,

हिंदी एव

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