
तुम्हारा विशिष्ट शौर्य,
तथा नैसर्गिक सौंदर्य,
कथा ये कैसे हो व्यक्त?
माहौल ज़रा सख़्त,
निंदा करने में लोग भले माहिर,
बाहरी आकर्षण तो जगजाहिर!
तल्ख़ कभी समाज का रवैया,
शोहरत अगर मनोरंजन मुहैया!
किंतु सौंदर्य नहीं शरीर तक सीमित,
मानसिकता ये स्वीकारे तो गनीमत!
जुल्फें ही नहीं केवल तुम्हारी पहचान,
नैन नक्श ही नहीं बढ़ाते हमेशा मान!
भीतर समाया जागृति और जीवन,
उम्र हो चाहे सोलह या ढ़लता यौवन!
हंसने पर भौंहों और आंखों के नज़दीक वो उभरी लकीरें,
मायने रखती जीवंत ऊर्जा नाकी सिर्फ आकर्षक तस्वीरें!
बयां ना करते तुम्हें कटु वचन या मामूली लतीफें,
अनुशासित जीवनशैली से विलुप्त होती तकलीफें!
सुनो ! तुम्हारा खुश रहना निखारे तुम्हारा आज,
एकाग्र होना संतुलित करता तुम्हारा कामकाज!
तुम्हारे लफ्ज़ देते तुम्हारे मस्तिष्क का सुचारू परिचय,
तुम्हारा हौसला करता नैसर्गिक सौंदर्य का विनिश्चय।
- यति
You're beautiful inside out!
More Love and Light to you!
❤️
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