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ज़रा थोड़ी लो खुदकी सेहत संभाल,
दिन रात माना तुम्हें जलानी मेहनत की मशाल,
आते रहते माना प्रगति के बीच कुछ अंतराल,
स्वस्थ्य दिनचर्या से संवारो अपना हाल,
खुराक़ में लो दिव्य साहित्य का उपहार,
भेंट करो सज्जनों से जो दिला चुके तन्हाई को हार,
हर दिवस को जियो ऐसे जैसे मिला ये आखिरी बार,
कोई क
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