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जैसे कवि का भावनाओं को बुनना,
लेखक का कल्पना से कहानी में रंग भरना,
अभिनेता का किसी किरदार को चुनना!
संगीतकार का अपनी धुन को सुनना,
ज्ञात रहे हमें कलाकारों का हृदय बहुत मुलायम,
शंका की त्रुटि न होने पाएं उनके भीतर कभी कायम,
अनुभूतियों पर स्वस्थ मन से सोचना,
जीवन में नए आयामों को खोजना,
अपनी जिज्ञासा को तनिक टटोलना,
बेझिझक बोलना और राज़ों को खोलना,
ये सब घनिष्ठता में बहुत ज़रूरी,
न पनपती हो आलोचना से किंतु कोई दूरी,
बस संक्षिप्त आंकलन की कमी हो पूरी,
न रहें कोई बात संकोच से अधूरी!
विवाद होते हों पल में समाप्त,
संवाद हो सजगता से पर्याप्त,
स्याही से यूंही सजीव होती रहे पुस्तक कोरी,
और याद जब आएं हमें बचपन की कोई लोरी,
मां जो हमारी परवरिश में कई रातों को ना सोई,
सिखलाएं हर एहसास कि महत्वपूर्ण हैं हरउम्र में किस्सागोई।
- यति
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