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दैर खाली सारे खुदा कहीं खो गए हैं,
ये कैसा शहर है जहाँ लोग खुदा हो गए हैं।
यहाँ बाज़ार में मैं कल ज़मीर बेच आया था,
आज मेरे बच्चों ने खाया है अभी सो गए हैं।
वो लोग जो सारे यहाँ रस्में-इमाँ पढा़ते,
बहुत है बंद जैलों में और कुछ खो गए हैं।
यहाँ आईने अब जो चाहो अक्स दिखाते है,
यहाँ के आईने भी छोड़ा झूठे हो गए हैं।
एक दिन मुश्किल था बसर करना यहाँ पर अब,
हमें देख लो हम भी, यहीं के हो गए हैं।
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