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तेरी गली में नहीं तो मुझे तेरे महोल्ले में घर चाहिए,
तेरा आंगन देखता रहुं मुझे ऐसी गुज़र बसर चाहिए।
मैं तो मीट्टी में दबी हुई सी खुश्बू सा हो गया हूं,
तु बारिश बनके आजा मुझे हवाओं का सफर चाहिए।
मैं तो जी चुका हूं सदीयों इस जहन्नुम सी ज़िन्दगी को,
मैं तो
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