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Kumar VishwasPoetry1 min read

वृक्ष संवाद - विबेक मिश्र

विवेक मिश्रविवेक मिश्र February 19, 2022
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जंगल में उगे कुछ पेड़ों को,

एक मलाल रह गया,

नहीं जा सके शहर क्यूँ हम,

यह सवाल रह गया,


पूँछा मैंने,

शहर में ऐसा क्या है ?


उनने कहा,

शहर ही में तो मौजों की रवानी है

वहाँ मिलती धूप, छप्पर और पानी है

यहाँ तो संघर्ष और बर्बाद जवानी है

बन मनी प्लांट दिखाना कमाल रह गया

नहीं जा सके शहर क्यूँ .........


मैंने कहा,

गांव जाओ, वहां भी ज़िन्दगानी है


उनने कहा,

वहां रहते सिर्फ गवाँर हैं

काट खाते उसे जो भी तैयार है

वे भी शहर जाने को बेक़रार

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