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प्रेम नहीं है कोई पोथी, प्रेम साधना का अहसास है,
कुपढ़ों व अपढ़ों से ऊपर पढ़े लिखों का विश्वास है,
प्रेम नहीं है बाते थोथी, प्रेम दानवत्व का विनाश है,
रब की चौकीदारी में सबके साथ सबका विकास है,
प्रेम नहीं दो वक्त की रोटी, प्रेम सृष्टि की ही श्वांस है,
प्रेम नहीं कोई नियत खोटी, प्रेम परब्रम्ह का रास है,
प्रेम नहीं विवाह का बंधन, प्रेम राधा का आकाश है,
प्रेम नहीं समाज विखंडन, प्रेम मोहन की तलाश है,
प्रेम पढ़ो नहीं प्रेम को जानो,अश्रु का भी यही हास्य है,
प्रेम गढ़ो नहीं प्रेम को पा लो,भक्ति का भी यही दास है,
- विवेक मिश्र
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