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पेड़ पानी से ख़फ़ा लगता है
बाढ़ आई थी, पता लगता है
ख़ाली जगहें यूँ न रखिए साहिब
इश्तिहारों को बुरा लगता है
हाशिए जब से हुए हैं रौशन
रंग-ए-तहज़ीब उड़ा लगता है
जब कि हाथों की थमी है
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पेड़ पानी से ख़फ़ा लगता है
बाढ़ आई थी, पता लगता है
ख़ाली जगहें यूँ न रखिए साहिब
इश्तिहारों को बुरा लगता है
हाशिए जब से हुए हैं रौशन
रंग-ए-तहज़ीब उड़ा लगता है
जब कि हाथों की थमी है
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