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बंजर की नागफनी पर उग रहे फूलों से बहलते हुए जिंदगी ने एक लम्बा सफर तय कर लिया है। कांटों की पौध अब बड़ी हो गयी है और जड़ों से लगी थोड़ी बहुत मिट्टी भी रेत में परिणत हो गयी है। मरू सी ये जिंदगी, जितनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करता हूँ उतनी ही फिसलती है।
-विशाल
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