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लोग वाह!करते रहें, तो लिखना अच्छा लगता है!

वरना तो सो जाती है,कलम भी जाके कोने में!!


हमने भी चाहा था जीवन फूलों की फुलवारी सा!

मिला जो है तो लगता है कि बीत जायेगा ढोने में!!


अक्सर ऐसा होता है,भर आतीं हैं आँखें मेरी!

अच्छा किसको लगता है,बिन बातों के रोने में!!


रातें काली ख़त्म न होतीं, मुझको बड़ा डराती हैं!

और कितनी देर है? बता दो,अब और सवेरा होने में!!


#विरेश

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