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तुम्हारे विचारों की धारा

Vikas GondVikas Gond January 26, 2023
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कविताएं छपवाने के लिए चाहिए तो बस थोड़ी बहुत चाटुकारिता और संपादक के जूते को चाटने भर की हिम्मत 


छपने लायक कविताएं सिर्फ जनेऊ पहन के ही लिखी जा सकती है 

गाय भैंस चराने वाले लोग

चाम छीलने वाले लोग

कपड़ा धोने वाले लोग

भुजा भुजने वाले 

जनेऊ न पहनने वाले लोग

सिर्फ चुटकुला लिखते है

कम से कम संपादक महोदय का यहीं मानना है


वे करते है दावा 

सबसे बड़ा बुद्धिजीवी होने का 

वे लिख देंगे किताबें

जातिवाद पर,पूंजीवाद पर


खोज लेंगे अपने वर्ण का अर्जुन

इनके अर्जुन है महा थेथर

चापलूसी में है बेहतर 

तुम्हारे विचारों की धारा पर थूकेगी दुनियां

तुम्हे हज़ार लानत ।

© विकास गोंड 


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