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एक अरसे के बाद मुकम्मल हुयी,
फिर चलते चलते हम मिले।
एक पुलिंदा था शिकायतों का
कई अनकही बातों का
तेरी बोली सुनकर हंसने वाले
फिर रोते रोते हम मिले।
हर बार का तुमसे वादा था
फुरसत लेकर आएंगे
बैठेंगे, सुस्ताएँगे,ढेरों बतियाएंगे
लौट के मिलने का वादा लेकर
चलते चलते हम मिले।
फिर चलते चलते हम मिले।
एक पुलिंदा था शिकायतों का
कई अनकही बातों का
तेरी बोली सुनकर हंसने वाले
फिर रोते रोते हम मिले।
हर बार का तुमसे वादा था
फुरसत लेकर आएंगे
बैठेंगे, सुस्ताएँगे,ढेरों बतियाएंगे
लौट के मिलने का वादा लेकर
चलते चलते हम मिले।
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