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Wo mohabbat (वो मोहब्बत)

vijaybhalvijaybhal June 16, 2020
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महफ़िल कहती हैं भुला दो उनको, फिर भी दिल से रहा नही जाता।

तस्वीर सामने आती जब उनकी, वो दर्द भी दिल से सहा नही जाता।।

किस नादानी की सजा मिली है, इतना बस कोई बतला दे।

हर गलती पर सर झुका दे हम तो, कोई उनकी जबां से कहला दे।।

अनजानी मोहब्बत की इस खोफ सजा को दिल से स्वीकार करता हूं।

फिर से ना हो जाये ये गुस्ताखी, सिर्फ इसी बात से डरता हूँ।।

-विजय

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