Share0 Bookmarks 48594 Reads1 Likes
कहीं खून में तू लथपथ
कहीं तिरंगे मैं लिपटा रहा
तेरे वज़ूद का हर क़तरा
वतन के लिए मिटता रहा
तू जगता रहा वहां तो मैं
चैन की नींद सोता रहा
तू डटा रहा एक मुश्त तो
मैं हमेशा मुस्कुराता रहा
तू था तो मेरा वज़ूद था
मेरी खुशियां थीं,मेरा सुकून
तेरे साथ मिट्टी हो गयी
मेरी चाहतें ,मेरा जुनून
तेरा ही साया था मैं भी
मैं भी बिखरा मैं भी टूटा
तू सो रहा था चैन से और
मेरी आंखों से थी नींद जुदा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments