
कहीं खून में तू लथपथ
कहीं तिरंगे मैं लिपटा रहा
तेरे वज़ूद का हर क़तरा
वतन के लिए मिटता रहा
तू जगता रहा वहां तो मैं
चैन की नींद सोता रहा
तू डटा रहा एक मुश्त तो
मैं हमेशा मुस्कुराता रहा
तू था तो मेरा वज़ूद था
मेरी खुशियां थीं,मेरा सुकून
तेरे साथ मिट्टी हो गयी
मेरी चाहतें ,मेरा जुनून
तेरा ही साया था मैं भी
मैं भी बिखरा मैं भी टूटा
तू सो रहा था चैन से और
मेरी आंखों से थी नींद जुदा
काश बांट पाता मैं तुमसे
अपनी खुशी अपनी हंसी
हो गई दफन तेरे साथ ही
मेरी हर खुशी,मेरी दिल्लगी
तू भी खुद में था चुपचुप
मैं भी अपने में गुमशुम
तेरे चेहरे पर मुस्कान थी
पर मेरी आँखें थी नम
कैसे उतारूं सब उधार तेरा
कैसे खुद को संभालूं मैं
तू मेरी रूह में है समाया हुआ
अब कैसे तुझे बिसराऊं मैं
तुझे आशीष है,नमन है तुझे
तेरी यादें हैं ताजा आज भी
तेरी राख का तिलक है माथे पर
सीने में जिंदा है तेरी जिंदगी
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