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बिंदास बचपन की बंदिशें

vijay ranavijay rana January 4, 2022
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बेधड़क बिंदास बचपन की वो  सारी बंदिशें
और उनको तोड़ने की बदमाशियां सब याद हैं

पत्थरों से हमारा खेलना फुटबाल अक्सर
फिर हमारा फुटबाल बनना भी बखूबी याद है

घुटनों और कुहनियों की वो अनगिनत चोटें 
हर चोट के वो दर्द मीठे और हर कहानी याद है

छुप छुपा कर गली में ,कंचे खेलकर आना 
और जीते हुए कंचों में हीरों की चमक याद है
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