Share0 Bookmarks 49193 Reads1 Likes
बेधड़क बिंदास बचपन की वो सारी बंदिशें
और उनको तोड़ने की बदमाशियां सब याद हैं
पत्थरों से हमारा खेलना फुटबाल अक्सर
फिर हमारा फुटबाल बनना भी बखूबी याद है
घुटनों और कुहनियों की वो अनगिनत चोटें
हर चोट के वो दर्द मीठे और हर कहानी याद है
छुप छुपा कर गली में ,कंचे खेलकर आना
और जीते हुए कंचों में हीरों की चमक याद है
<
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments