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प्रेम है सरस, सरल और निश्छल जीवन में उमंग भरे यह हर पल प्रेम जो है निर्विकार और निर्बन्ध सात फ़ेरो के बन्धन में जाता है बन्ध l अन्जान अपरिचित दो परस्पर मिले खूबी-कमी को किया स्वीकार,ना रहे गिले स्नेह-प्यार से सींचा घर- आंगन किलकारियाँ गूँजी, खिले सजनी -साजन ll  
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