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तुम यहीं हो मेरे पास,
लिए अपनी हाथों में मेरा हाथ, मुझे देखती हो,
तुमने अभी कहा है, तुम्हारा हाथ कितना ठंडा पड़ा है,
अभी एहसास मुझे तुम्हारी नर्म और गर्म हाथों का हुआ है।
तुम्हारा स्पर्श महसूस करने के लिए तुम्हारा यहाँ होना भी ज़रूरी नहीं है,
तो तुम्हारा मुझे मिलना या न मिलना
या की प्यार करना या न करना क्या ज़रूरी है?
बिलकुल नहीं!
हाँ पर ज़रूरी है तुम्हारा ये जानना
की तुम्हें कोई तुम्हारे बिना भी
कर सकता है प्यार, बेहद और बेहिसाब प्यार।
-विक्की आनंद (कैप्टेन)
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