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भारत की धज्जियाँ
उड़ाने वालोंं,
शर्म करो!
ये जननी है तुुम्हारी,
जननी को प्रणाम करो।
तुम क्या जानोगे
भारत को?
भारत में रहने वालों को?
मत इसकी शाख को गिरने दो,
भारत माँ पर गर्व करो।
यहाँ का नमक खाते,
विदेश में नाम कमाते,
भारत को बनाया वीरों ने, देशभक्त और शहीदों ने,
कुछ उनकी तो आन धरो।
अपने हाथों मत भारत को बदनाम करो।
है नारी यहाँ पर पूजित,
अस्मिता न उसकी दूषित,
किसान अन्न उपजाते,
बच्चे बूढ़ेे सब खातेे,
युवकों की पहचान बनो।
न भारत को बद्नाम करो।
शर्म करो अब शर्म करो।
उड़ाने वालोंं,
शर्म करो!
ये जननी है तुुम्हारी,
जननी को प्रणाम करो।
तुम क्या जानोगे
भारत को?
भारत में रहने वालों को?
मत इसकी शाख को गिरने दो,
भारत माँ पर गर्व करो।
यहाँ का नमक खाते,
विदेश में नाम कमाते,
भारत को बनाया वीरों ने, देशभक्त और शहीदों ने,
कुछ उनकी तो आन धरो।
अपने हाथों मत भारत को बदनाम करो।
है नारी यहाँ पर पूजित,
अस्मिता न उसकी दूषित,
किसान अन्न उपजाते,
बच्चे बूढ़ेे सब खातेे,
युवकों की पहचान बनो।
न भारत को बद्नाम करो।
शर्म करो अब शर्म करो।
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