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कौन हैं वो जो सुखाना चाह
रहे अब लोकतंत्र का मूल
समाजवाद और मानवता के
सब मानदंड गए अब भूल
संविधान की शपथ लेकर बने
कभी वे जनता के प्रतिनिधि
मगर नीतियों रीतियों से पोस
रहे धन्नासेठों को बहु विधि
सरकारी संस्थानों के उत्थान
की उन्हें तनिक नहीं परवाह
निजीकरण की रफ्तार को तीव्र
करने की बस उनमें उत्कट चाह
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