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जो सुसुप्त हो मौन पड़ा है
उसकी भला कौन सुनेगा
जो जाग्रत और सतर्क है
सच में वो ही राज करेगा
लाचारों की कहाँ सुनी गई
कब सत्ता के गलियारों में
कालचक्र को वही बदलता
आग हो जिसकी हुंकारों में
फेंक लबादा लाचारी का
खुद का अस्तित्व बचाओ
हक हुकूक की खातिर अब
सत्ताधीशों से जोर आजमाओ
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