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मैं रजस्वला हूं!

Ujjal Pradip SarkarUjjal Pradip Sarkar March 8, 2023
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नापाक कह देते हो मूझे जब हर माह

तुलसी के सम मैं तब पवित्र हूं ,

जीवन निर्माण की दस्तक दे जाती हूं रक्त से,

उन पांच दिनों में,मैं सबसे विचित्र हूं।


अछुत बनी रह जाती हूं जब तुम्हारे लिए,

खुद की वजूद को मैं तब स्पर्श करती हूं,

कुच्छित! मान लिया जाता ह

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