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जुल्म करने के लिए अगर ये हाथे उठ गया ,
प्रभु तुम ये हाथे रोक देना, ये मुझे आशीष दो ।
हर कदम मेरा उठे , लोक सेवा के लिए ,
विचलित न होऊँ पथ से प्रभु , ये मुझे आशीष दो ।
ये समर्पित जिंदगी , न खौप खाए जुल्म से,
हर जुल्म को मैं खत्म कर दूँ ,ये मुझे आशीष दो ।
हर समय,हर कदम पर , प्रभु मुझे तुम साथ दो ,
मेरे दिलो में वास् कर , नैनो से देखूँ झाँक कर ।
हर पल रहूँ कृतज्ञ मैं , तेरे चरणों के धुल पर ,
शिकस्त में भी तुझे न भूलूं, ये मुझे आशीष दो ।
जुल्म करने के लिए अगर ये हाथ उठ गया,
प्रभु तुम ये हाथे रोक देना, ये मुझे आशीष दो ।।
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