नारी को समझने के लिए सबसे पहले हमें नारी शब्द को समझना पड़ेगा, नारी का मुख्य रूप से मतलब शक्ति और त्याग से है, हम आज बेशक वर्तमान और आधुनिक युग में क्यों ही ना हो लेकिन हमें बीते हुए कल या युग को नहीं भूलना चाहिए जहां से हमें नारी का असल मायनों में अर्थ मिला है।
हम बात करते है हजारों वर्ष पूर्व युग की जिस युग में सर्वप्रथम नारी को आदिशक्ति के रूप से जानना प्रारम्भ हुआ, वही आदिशक्ति जो तीनों लोको में पूजनीय एवं वंदनीय है जिन्हें हम कई नामों से पूजते है माँ दुर्गा, माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी अन्य कई ऐसी देवियाँ जिन्होंने दुष्टों का संहार किया और नारी जाति को आदिशक्ति की परिभाषा हर युग को प्रदान की है ।
अब हम बात करते है उस त्रेता युग की जिस युग में माता सीता ने नारी शक्ति को और सशक्त किया जिन्होंने पूरी दुनिया को सिखाया की अगर नारी चाहे तो बिना किसी सहायता के किसी भी परिस्थितियों से लड़ना जानती है यह उन्होंने हमें अपने पूरे जीवन काल में सिखाया, कैसे उन्होंने सिर्फ एक तिनके में अपनी संपूर्ण शक्ति का प्रदर्शन किया था जिसके फलस्वरूप रावण उन्हें छूना तो दूर उन्हें देखने में भी संकोच करता था, यह एक नारी के संपूर्ण समर्पण और विश्वास की शक्ति थी जिसके कारण प्रभु श्री राम को युद्ध में अदृश्य और दिव्य सहायता प्राप्त हुई थी ।
अब हम आते है उस युग से थोड़ा आगे द्वापर युग जहां कई महत्वपूर्ण घटना घटी, जिसने नारी
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