गांव और शहर's image
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शहर व्यस्त से व्यस्त होते जा रहे है,
गांव में आज भी समय ही समय है ।

शहर की सड़कों पर जाम बढ़ता जा रहा है, 
गांव में आज भी सुकून ही सुकून है ।

शहर की हवाओं में ज़हर घुलता जा रहा है,
गांव की हवाओं में आज भी ताज़गी है ।

शहर का पानी कड़वा होता जा रहा है,
गांव के पानी में आज भी मिठास है ।

शहर का खानपान बिगड़ता जा रहा है,
गांव के खानपान में आज भी पोषण है ।

शहर में लोगों का सैलाब बढ़ता जा रहा है,
गांव में मोहब्बतों का आज भी सैलाब है ।

शहर में रिश्तों की औपचारिकता बढ़ती जा रही है,
गांव में रिश्तों का आज भी सम्मान है ।

शहर में तेरे मेरे की परंपरा बढ़ती जा रही है,
गांव में आज भी सब अपना है ।

शहर के त्यौहारों में दूरियां बढ़ती जा रही है,
गांव में आज भी नजदीकियां है ।

शहर आधुनिक से आधुनिक होते जा रहे है,
गांव में आज भी वही देश की पुरानी मिट्टी है ।

: तुषार "बिहारी"

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