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उलझी सड़क, सुलझी मंज़िल
मैंने अपने घर में औरत ज़्यादा देखी हैं
और उनकी इज़्ज़त कम।
औरत के लिए, दूसरों के किए
फैसले ज़्यादा सुने हैं
और उन फैसलों में
औरत की शिरकत कम।
एक बार मेरी मां ने गलती से
अपने ऊपर गरम चाय का कप गिरा लिया था,
उनके उलटे पैर का लगभग सारा हिस्सा
काफ़ी जल गया था।
तब मेरी मां का हाल पूछने वाले
या ठंड़ी बर्फ फ्रिज से निकाल कर
देने वाले मैंने घर में कम देखे।
मां के हिस्से अक्सर मैंने
घर वालों के दिए ग़म देखे।
किसी भी जगह जब कोई फेस्ट होता है
ये मुझे पहले से पता होता है
कि मैं वहां नह
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