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मैने कब कहा कि मेरे मन माफिक मोहब्बत हो
मगर है गुजारिश गर मोहब्बत हो तो मोहब्बत हो
कबतक यूँही तन्हाइयों में सब ए हिज्र गुजारे
कभी तो हमपर मोहब्बत की बरसात हो
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