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हम शूरवीर, हम नायक है
हम खूब लड़े , हम खूब लड़े।
हम अपने डर से लड़ते है,
हम लड़ते अपने गुस्से से।
जंग जारी है तकदीर से अपनी,
जंग जारी है उनके रुतबे से।
हम शूरवीर, हम नायक है ,
हम खूब लड़े , हम खूब लड़े।
रोज़ लड़ाई होती है हमारी
अपनी तंगी से गरीबी से।
रोज़ एक उठा पटक सी होती है ,
तानाशाही और अमीरी से।
लड़ते हम अपने हक़ को
हर पल हर एक साँस साँस।
हारकर भी न थकते हम ,
मन में रखते कल की आस।
हम शूरवीर, हम नायक है ,
हम खूब लड़े , हम खूब लड़े।
शत्रु बहुत है यहाँ अपने ,
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